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लेखनी प्रतियोगिता -09-May-2022

मुद्दतों बाद आज यह हसीन रात आई है।
उनके आने से चेहरे पर यूं खुशी छाई है।
हां आज मेरी सपनों वाली शाम आई है।

गवाह बनेंगे चमकते तारे मेरे हालातों के।
रुबरु होंगे वो आज मेरे सारे जज्बातों के।
पन्नों पर उभरे हैं, जो किस्से तन्हा रातों के।

उसी लिए बनाया था ये प्रेम का आशियाना।
जिस से सीखा था हमनें सब रिश्ता निभाना।
उसे ही मुझ से दूर कर गया जालिम जमाना।

उसके लौटने से वापस लौट आईं हैं जैसे बहारें।
कह रही है, दिल की तड़प, आओ जीवन संवारें।
क्यूंकि अब मिट चुकी हैं रस्मों रिवाजों की दरारें।


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12 Comments

Anam ansari

11-May-2022 08:48 AM

Nice

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Haaya meer

10-May-2022 05:48 PM

Amazing

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Muskan khan

10-May-2022 05:29 PM

Very nice

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